अफीम की खेती को लेकर हमारे मन में कई तरह की शंकाएं हैं। अफीम का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं में किया जाता है। लेकिन लोग इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में भी करते हैं। इसलिए सरकार इसका लाइसेंस जारी कर सकती है। बिना लाइसेंस के खेती करना एक गैर कानूनी अपराध है जिसके लिए सजा का सख्त प्रावधान है।
आपको बता दें कि अफीम की खेती सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और शर्तों के आधार पर की जाती है। इसके बीज भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। आज हम इससे जुड़े सभी अहम पहलुओं के बारे में बात करने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इसका लाइसेंस कैसे और कहां जारी होता है।
कैसे मिलता है लाइसेंस और बीज?
अफीम की खेती का लाइसेंस वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। यह लाइसेंस कहीं से नहीं लिया जा सकता है। बल्कि इसकी खेती भूमि आधारित स्थानों में की जाती है। दूसरी ओर, किसान कितनी जमीन पर खेती करेगा, यह सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।
लाइसेंस और इसकी खेती से जुड़ी शर्तें जानने के लिए आप क्राइम ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की वेबसाइट पर जा सकते हैं। लाइसेंस मिलने के बाद आप नारकोटिक्स विभाग की संस्थाओं से खसखस ले सकते हैं।
कैसे कर सकते हैं शुरू?
अफीम की खेती रबी सीजन यानी सर्दियों में की जाती है। इसकी फसल अक्टूबर-नवंबर के महीने में कई बार बोई जाती है। बुवाई से पहले भूमि की 3-4 बार जुताई कर लेनी चाहिए।
इसके साथ ही खेत में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालना होता है, जिससे पौधे अच्छे से बढ़ सकें। एक हेक्टेयर में इसकी खेती करने के लिए लगभग 7-8 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि अगर आप अफीम की खेती का लाइसेंस लेते हैं तो आपको कम से कम इसका उत्पादन तो करना ही होगा. इसलिए अपनी तरफ से खेती में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए।
इसे भी पढ़ें – इस राज्य में शुरू होंगी ‘किसान पाठशाला’, 1 करोड़ से अधिक किसानो को ट्रेनिंग
कैसे होती है फसल की बिक्री?
पोस्त के पौधे में बुवाई के 100-120 दिन बाद फूल आने लगते हैं। इन फूलों के गिरने के बाद इनमें कलियां लग जाती हैं। प्रतिदिन कम मात्रा में अफीम की कटाई की जाती है। इसके लिए इन कलियों पर चीरा लगाकर रातभर के लिए छोड़ दिया जाता है और अगली सुबह इनसे निकलने वाले तरल को एकत्र कर लिया जाता है।
जब लिक्विड निकलना बंद हो जाए तो उन्हें सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। फसल सूखने के बाद इसकी कलियों को तोड़कर इसके बीज निकाले जाते हैं। हर साल अप्रैल माह में नारकोटिक्स विभाग किसानों से अफीम की फसल खरीदता है।