Paddy: देश में धान की कई किस्मों की खेती होती है, लेकिन बासमती का कोई मुकाबला नहीं है और यह अपने स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। अगले महीने से पूरे देश में मानसून पहुंच जाएगा।
इसके बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और बिहार समेत देशभर के किसान धान की खेती की तैयारी शुरू कर देंगे। बासमती चावल की कई किस्में हैं और प्रत्येक का अपना अलग-अलग स्वाद है।
पूसा-1401: इसकी उपज क्षमता 4-5 टन प्रति हेक्टेयर है। यह बासमती चावल की अर्ध बौनी किस्म है। पूसा-1401 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से विकसित किया है। इसकी फसल आप 135 से 140 दिनों के बाद काट सकते हैं। इसकी खेती उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्रों में की जाती है।
पंत धान-12: पंत धान 12 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से भी विकसित किया है। इससे आपको प्रति हेक्टेयर 7-8 टन उपज प्राप्त होगी। इसलिए इसका नाम पंत रखा गया। पंत धान 12 बासमती की एक बेहतरीन किस्म है। यह कम समय में पक जाता है।
इसकी उपज क्षमता भी बासमती की अन्य किस्मों से अधिक है। यदि किसान भाई इसकी खेती करते हैं तो फसल 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
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पूसा 834: उपज की बात करें तो आप प्रति हेक्टेयर 6-7 टन धान का उत्पादन कर सकते हैं। इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है।
पूसा 834 एक अर्ध-बौनी किस्म है। तेज हवा और आंधी चलने पर भी इसकी फसल खेत में नहीं गिरती है। खास बात यह है कि यह किस्म 125 से 130 दिन में पकने के बाद तैयार हो जाती है। यानी 130 दिनों के बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं।
SKUAST-K धान: यह बासमती की अधिक उपज देने वाली किस्म है। यह सूखा, जलभराव और खारे पानी को आसानी से सहन कर सकता है। इसकी फसल तैयार होने में 135 से 140 दिन का समय लेती है। इसकी उपज क्षमता 6-7 टन प्रति हेक्टेयर है। इसे शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है।
यह एक अर्ध-बौनी किस्म भी है। ऐसे में तेज हवा का इस पर कोई असर नहीं होता है। यह एक सिंचित चावल की किस्म है, जिसकी खेती ज्यादातर जम्मू और कश्मीर में की जाती है।
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