Mushroom: देश में मशरूम की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत सरकार किसान भाइयों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
इसके लिए युवाओं और किसान भाइयों को न सिर्फ ट्रेनिंग दी जा रही है, बल्कि भारत सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है।
मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जिसे काफी कम लागत से शुरू किया जा सकता है और कम समय में मुनाफा भी अधिक कमाया जा सकता है।
इसी कड़ी में साइना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में मशरूम उत्पादन तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न जिलों जैसे हिसार, फतेहाबाद, जीन्द, भिवानी, करनाल, पानीपत, रोहतक तथा रेवाडी से भी प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।
साल भर कर सकते हैं मशरूम की खेती
इस संबंध में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जिसे काफी कम लागत से शुरू किया जा सकता है।
भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित युवक एवं युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर वर्ष भर मशरूम की विभिन्न प्रजातियाँ की खेती कर सकते हैं।
जिनमें प्रत्येक के अनुसार सफेद बटन मशरूम, सीप या ढींगरी, दूधिया या दूधिया मशरूम, धान के भूसे का मशरूम आदि शामिल हैं और इसका उत्पादन बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।
भारत सरकार की ओर से भी किसान भाइयों और बेरोजगार युवाओं को इसे व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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सफेद बटन मशरूम का होता है सबसे अधिक उत्पादन
मशरूम एक संतुलित आहार है, इसमें कई प्रकार के पोषण और औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इसके नियमित सेवन से मनुष्यों में बीमारियों और विकारों को रोकने में सहायता मिलती है।
मशरूम उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों का उपयोग किया जाता है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी और साथ ही वायु प्रदूषण से भी बचा जा सकेगा।
विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में हरियाणा में 21,500 मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 99 प्रतिशत से अधिक उत्पादन सफेद बटन मशरूम का है।
दिल्ली, लुधियाना और चंडीगढ़ के अलावा कई छोटे-बड़े शहरों और छोटे-छोट गांवों में भी इसकी काफी मांग है और इसे बेचने में भी कोई दिक्कत नहीं होती है।
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